City Poem- Ganesh Gautam

प्यार शहर का

अभी करावल नगर और लोनी के बीच ज्यादा अच्छे संबंध नहीं है।
करावल नगर ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया था सालों पहले,
और डबल साइडेड रोड़ बनाकर इजहार किया था अपनी दोस्ती का,
लेकिन लोनी तो ठहरी अपने मजे में चूर
उसने कर दिया मना
कहा ऐसी दोस्ती को हमने नहीं जीना,
इस इनकार का इजहार उसकी गढ्डे वाली सड़के बड़े जोर-शोर से करती है
और करावल नगर की सड़के आह भरती है
यह सड़क दिल्ली और यू.पी. को साथ लाती हैं
हो चांदनी चौक या पुरानी दिल्ली
वहाँ दुकानें बंद हो जाए,  फैक्टरियाँ खत्म हो जाए
अगर मजदूर लोग इस सड़क से काम करने न जाए
यहाँ से ही 227 नं की बस, पूरी भर कर जाती है
संभालना अपनी जेबें कि वो कट जाती हैं
गुर्जर, दलित,  मुसलमान या हो पूरविया
सब रहते है इस सड़क के किनारों पर
यहाँ दिल्ली लोनी बन जाती हैं।

... सुना है कुछ दिन पहले लोनी मान गयी,
करावल नगर की चाहत को लोनी पहचान गयी
और अब करावल नगर से भी ज्यादा बड़ी सड़कों के साथ इजहार किया है
हाँ उसने प्यार किया, प्यार किया, प्यार किया हैं।
कुछ दिनों बाद इनके बीच  एक गहरा संबंध बन जाएगा
जो सड़कों के माध्यम से पनपेगा,  फैलेगा और सबको महकाएगा।
और बीच में एक छोटा-सा टोल नाका इनकी चर्चाओं से पैसा कमाएगा।
ये सब चर्चाएं इनकी दूर तक हुआ करेगी
लोनी की गलियां करावल नगर से मिला करेगी
बिल्कुल, हमारी तरह।  

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