Ghazal: Yatish
हर पल, हर घड़ी, हर लम्हा तुमको ही याद कर रहें हैं
महफ़िल में खोये बैठे हैं बस बार-बार इरशाद कर रहें हैं
अंग्रेज़ी हमको आती नहीं हिंदोस्तानी उनको भाती नहीं
इश्क़ बयाँ करने को भाषा कोई नई इजाद कर रहे हैं
दिलों को ज़ब्त करने की जो मुहिम चलायी है तुमने
हुजूम आशिक़ों के ख़िलाफ़ तुम्हारे इंकलाब कर रहें हैं
बैचैन-सा नादान ये मुसलसल जो चलते रहता है
कुछ पल ठहर जाने की वक़्त से फ़रियाद कर रहे हैं
इस शोर पसंद ज़माने में ऊँचा ही लोग सुनते हैं
टूटे दिलों को सुने कौन जो अनहद नाद कर रहे हैं
नफ़रतों के कारोबार में जिन्हें तलाश थी मुनाफ़ों की
रुख हवाओं के ख़ुद उनके घरों को आग कर रहे हैं
छोड़ने का हमें कहीं अफ़सोस न रहे तुमको
सोचकर यही ख़ुद को बरबाद कर रहे हैं
हम 'ख़ाक' न हो जाए कहीं तुम्हे याद करते करते
जाओ आज अपने दिल से तुमको आज़ाद कर रहे हैं
words:
इजाद : invent
मुहिम: campaign
हुजूम: large group
इंकलाब: revolution
मुसलसल: continuous
अनहद: unbound
नाद: sound, Anhad naad is the music which cannot be heard but felt
मुनाफ़ा: profits
'ख़ाक': dust/ ashes/ worthless, also pen name
महफ़िल में खोये बैठे हैं बस बार-बार इरशाद कर रहें हैं
अंग्रेज़ी हमको आती नहीं हिंदोस्तानी उनको भाती नहीं
इश्क़ बयाँ करने को भाषा कोई नई इजाद कर रहे हैं
दिलों को ज़ब्त करने की जो मुहिम चलायी है तुमने
हुजूम आशिक़ों के ख़िलाफ़ तुम्हारे इंकलाब कर रहें हैं
बैचैन-सा नादान ये मुसलसल जो चलते रहता है
कुछ पल ठहर जाने की वक़्त से फ़रियाद कर रहे हैं
इस शोर पसंद ज़माने में ऊँचा ही लोग सुनते हैं
टूटे दिलों को सुने कौन जो अनहद नाद कर रहे हैं
नफ़रतों के कारोबार में जिन्हें तलाश थी मुनाफ़ों की
रुख हवाओं के ख़ुद उनके घरों को आग कर रहे हैं
छोड़ने का हमें कहीं अफ़सोस न रहे तुमको
सोचकर यही ख़ुद को बरबाद कर रहे हैं
हम 'ख़ाक' न हो जाए कहीं तुम्हे याद करते करते
जाओ आज अपने दिल से तुमको आज़ाद कर रहे हैं
words:
इजाद : invent
मुहिम: campaign
हुजूम: large group
इंकलाब: revolution
मुसलसल: continuous
अनहद: unbound
नाद: sound, Anhad naad is the music which cannot be heard but felt
मुनाफ़ा: profits
'ख़ाक': dust/ ashes/ worthless, also pen name
This is really a beautiful ghazal. Fourth couplet is my favorite one, especially that effect of innocence. The problem may arise with third and sixth couplet as kaafiya is not being followed by the "aad" Sound. Although I really enjoyed it.
ReplyDeleteInitially I began writing those shers with words having aad sound only , but later I felt that those words are not conveying the idea so I replaced. Thanks for the feedback !
DeleteHello Yatish! आप को ग़ज़ की समझ है, शेर भी क़ाबिल-ए-दाद तो नहीं हैं (आप ख़ुद ये जानते हैं), लेकिन पहली बार लिखा है, तो अच्छा प्रयास है। आप मीटर पर काम कीजिए, बाकी सब अपने-आप होता जाएगा।
ReplyDeleteJesus Loves You!
5th and 6th couplets, good!
ReplyDeleteशुक्रिया
DeleteLiked your second verse first line.
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