Political poem : Neha
कटी शाख से पीला पत्ता
कब तक घूटकर जीता है ?
कब तक मनु को पीता हैं ?
कब तक ताने कसता हैं?
कब तक घूटकर जीता है ?
कब तक मनु को पीता हैं ?
कब तक ताने कसता हैं?
वो जड़ अबतक पुरानी है
जिसमे उसने जन्म लिया
हर धागे का कसम लिया
अंत : हर धागे को खत्म किया,
जिसमे उसने जन्म लिया
हर धागे का कसम लिया
अंत : हर धागे को खत्म किया,
किसी ने माना था खुदा
किसी ने नाम काल दिया
जलबुझ कर आखिर मे वो
मिट्टी में ही सिमट गया,
किसी ने नाम काल दिया
जलबुझ कर आखिर मे वो
मिट्टी में ही सिमट गया,
ये रंग हरा, लाल, सिंदूरी
कब तक धोखा देता है
कब मीत होकर रहता है ?
कब पुनजन्म कर देता है ?
कब तक धोखा देता है
कब मीत होकर रहता है ?
कब पुनजन्म कर देता है ?
कया तुमने भी सुना है मन
कया तुम सुन रहे हो संग?
जब होता खुद का हाल बुरा
तो लगता हर रंग बेरंग!
कया तुम सुन रहे हो संग?
जब होता खुद का हाल बुरा
तो लगता हर रंग बेरंग!
Hello Negha!
ReplyDeletePerhaps you got carried away with a lot of thoughts you were having while writing this piece. Sit with this piece of yours, and rework it. What I clearly saw in the piece is the idea of a rich heritage and history of the nation (as I am interpreting), just work the piece again, I am sure it'll come good.
Cheers!
Jesus Loves You!
thnx shubham , yes I found that i will work on it .
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