Villanelle- Ganesh

अगर तुम न होते तो कैसा होता
क्या ये जिंदगी ओर हसीन न होती
क्या ये दुनिया तब एक रोशन जहां होता

मैं शायद अब तक यूँ जिंदा न होता
तुम अगर मुझको यूँ मिली न होती
अगर तुम न होते तो कैसा होता

ख्वाबों में तुम आती जब भी मैं सोता
मगर तुम बिन ख्वाबों में एक बेरूखी होती
क्या ये दुनिया तब एक रोशन जहां होता

मैं इतना मासूम की हर बात पर रोता
फिर तुम आकर सभांलती उन आंसुओं के मोती
अगर तुम न होते तो कैसा होता

मैं अगर गुस्से में बौखलाया न होता
तुम शायद मेरी बाहों में न होती
क्या ये दुनिया तब एक रोशन जहां होता

जब भी लिखकर कलम को घिस रहा होता
हर शब्द-शब्द में सिर्फ तुम बस रही होती
अगर तुम न होते तो कैसा होता
क्या ये दुनिया तब एक रोशन जहां होता

Comments

  1. Hello Ganesh!
    Good attempt, 19 lines, two refrains, rhyming words, and meter is more or less followed, chalega.
    'दुनिया' and 'जहान' mean the same.
    Your refrains as they've been used are not working with the lines.
    For me, only the first tercet worked as a whole, that too has two expressions meaning the same.
    Rework this piece, perhaps it didn't come good.
    ग़ालिब चचा का मतला याद आ गया--
    न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
    डुबोया मुझ को होने ने न मैं होता तो क्या होता
    और मक़ता भी--
    हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है
    वो हर इक बात पे कहना कि यूँ होता तो क्या होता
    Cheers!
    Jesus Loves You!

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