Individual Poem 1: Ganesh Gautam
गजल
चलो तुम्हें कोई अनोखा पैगाम देता हूँ
मैं तुम्हें मोहब्बत का एक जाम देता हूँँ
मैं तुमसे मोहब्बत दिलों-जान से करता हूँ
ये फरमान में जहां को सरेआम देता हूँ
ये फरमान में जहां को सरेआम देता हूँ
चाय और काफी का अलग ही मजा है दोस्तों
मगर एक शाम शराब के भी नाम देता
मगर एक शाम शराब के भी नाम देता
दुनिया में दुखों की भरमार कुछ ज्यादा है
चलो मैं 'मुस्कान' से भरी एक शाम देता हूँ
तुम जो जिदंगी में इतने दर्द सहते हो न
ठीक करने के वास्ते इश्क़ का बाम देता हूँ
ठीक करने के वास्ते इश्क़ का बाम देता हूँ
'तहरीर' ये जिंदगी इश्क़ में ही लुटेगी
ये सोचकर मैं गजल को अंजाम देता हूँ
ये सोचकर मैं गजल को अंजाम देता हूँ
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