NEHA - Response poetry2 HUM DEKHENGA by faiz ahmed faiz
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
हम देखेंगे
लाज़िम है कि हम भी देखेंगेवो दिन कि जिसका वादा है
जो लोह-ए-अज़ल[1] में लिखा है
जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गरां [2]
रुई की तरह उड़ जाएँगे
हम महक़ूमों के पाँव तले
ये धरती धड़-धड़ धड़केगी
और अहल-ए-हक़म के सर ऊपर
जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी
जब अर्ज-ए-ख़ुदा के काबे से
सब बुत उठवाए जाएँगे
हम अहल-ए-सफ़ा, मरदूद-ए-हरम [3]
मसनद पे बिठाए जाएँगे
सब ताज उछाले जाएँगे
सब तख़्त गिराए जाएँगे
बस नाम रहेगा अल्लाह का
जो ग़ायब भी है हाज़िर भी
जो मंज़र भी है नाज़िर[4] भी
उट्ठेगा अन-अल-हक़ का नारा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो
और राज़ करेगी खुल्क-ए-ख़ुदा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो
शब्दार्थ:
1.
सनातन पन्ना
2.
घने पहाड़
3.
पवित्रता या ईश्वर से वियोग
4.
देखने वाला
प्रतिक्रिया में.....
हम देखेंगे
अब आ ही गए हैं किनारो पर
तो कया मसला हैं ज़माने का
वो रूठे हमसे, या न रूठे
दिल जिद पर अड़ा परवानो का
तो कया मसला हैं ज़माने का
वो रूठे हमसे, या न रूठे
दिल जिद पर अड़ा परवानो का
हम देखेंगे
उस मंजर को, आसमानो को
उस कुतुब की मीनारो को
उस काले सफेद हिज़ाबो को
गिरते उठते मकानो को
उस मंजर को, आसमानो को
उस कुतुब की मीनारो को
उस काले सफेद हिज़ाबो को
गिरते उठते मकानो को
हम देखेंगे
जब दाव पर लगा है चित्त मेरा
तो क्या डर है आजमाने मे
इस आधी रात के मिट्टी का राज़
लगा है आज निशाने मे
जब दाव पर लगा है चित्त मेरा
तो क्या डर है आजमाने मे
इस आधी रात के मिट्टी का राज़
लगा है आज निशाने मे
हम देखेंगे
ये देश भी अपना ये सम समाज
ये गुड़िया भी अपनी ये रंग काज
जन्मो का रिश्ता पुराना है
हमको अब न ये बताना है
ये देश भी अपना ये सम समाज
ये गुड़िया भी अपनी ये रंग काज
जन्मो का रिश्ता पुराना है
हमको अब न ये बताना है
हम देखेंगे
Hey Neha! What a wonderful nazm Faiz wrote, right? And how beautiful it sounds in Iqbal Bano's voice too! I appreciate that your response poem is brimming with revolutionary fervour which is in keeping with the tone of Faiz's text. But I'm a little unsure of the exact meaning and context of your poem. Maybe I'm overlooking some references? Help me out? :)
ReplyDeleteHI SOUMYA!
Deleteit is very simple that we will see that what is going arround us and how can we fight against them(obstacles).and it's slightly motivational poem for youth..
thanks