Other poem 1. Rohini Sharma
" डियर मां "
कालेज का पहला दिन,
कैसे जाऊ मैं तुम बिन
यही सवाल मन को सुझा,
फिर जाकर मैंने मां से पुछा।
है मन में घबराहट
जबान भी करने लगी झटपटाहट
कैसे होंगे लोग वहां के
पता नहीं कहां ले जाएं राह दिखाके।
जाना होगा अब रोज मुझको,
मां मेरी छोड़ कर तुझको।
किससे बातें किया करुंगी
जवाब कैसे मांगा करुंगी
होगा जब कल्चर चेंज
हर बार मिलेगा नया चैलेंज।
डर लगता है ना कर पाई तो,
अगर मुझे तेरी याद आई तो,
जल्दी से अपनी आंखे बंद करुंगी
मां मैं तुझको तब याद करुंगी
हो जाएगी हर प्रोबलम दूर
जब कहलाऊंगी मैं,
।। तुम्हारी नूर।।
रोहिणी, आपने सरलतता के साथ एक किशोर मन के भाव कह दिए. आपकी कविता के सरल भाषा और लय ने जीवन के अहम पड़ाव पर रोशिनी डाली है. कॉलेज का पहला दिन स्कूल के पहले दिन से ज्यादा अलग नहीं होता, दोनों पड़ाव पर माँ की भूमिका अहम होती है और इस कविता में आपने वह स्पष्ट कर दिया.
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