Other poem 1: Yatish




इश्तेहार तो सारे शहर में लगाये थे मैंने

ग़म को मेरे मगर कोई ख़रीददार न मिला



इमारतें तिरी याद की हर ओर ही मौजूद हैं

ये टूटे फूटे मकबरे वो ऊँचा-ऊँचा सा किला


मंज़िल से हैं बेख़बर किस राह पर पता नहीं

जाने क्या सोचकर हमने लूटा ख़ुद का काफ़िला


न जाने कितने इम्तेहाँ उम्मीद-वार भी हजारों हैं

मिलना बड़ा ही मुश्किल है दिल में तेरे दाख़िला


तुम्हें भूलना तुम्हें सोचना तुम्हें भूलकर फिर खोजना

उधेड़ कर मुझे बुन रहा है दर्द का ये सिलसिला


ए ज़िन्दगी तिरी चाह में दुनिया से हम ग़ाफिल हुए

हमको तू बर्बाद कर दिलासे अब झूठे न दिला


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Word meanings:

इश्तेहार : advertisement
ईमारत:   monument
मकबरा:   masoleum
काफ़िला:   caravan
दाख़िला:   admission
गाफ़िल:   Unmindful, forgetful, neglectful, negligent

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