Other Poem 2 : Swati Kumari
हम तो दरवाजे बनाते जा रहे थे,
उस गलियारे में ना जानते हुए
तुम यहां खड़े हो किसी किनारे में
हमने तुम्हें चाबियां थमा दी
तुमने उन्हें किसी बक्से में दबा दी,
कोई आएगा उनको वहां से निकालने
अगर मिल गए तुम तो जीत तुम्हारी
वरना अब उस गलियारे में
दरवाजे बनाने की तुम्हारी बारी।
उस गलियारे में ना जानते हुए
तुम यहां खड़े हो किसी किनारे में
हमने तुम्हें चाबियां थमा दी
तुमने उन्हें किसी बक्से में दबा दी,
कोई आएगा उनको वहां से निकालने
अगर मिल गए तुम तो जीत तुम्हारी
वरना अब उस गलियारे में
दरवाजे बनाने की तुम्हारी बारी।
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