Other Poem 3 : Swati Kumari

हां मैं उसे बता नहीं पाती
कि उसे घर बुलाने से पहले
मुझे अपनी नानी से कितनी
लड़ाई करनी पड़ती है।

हां मैं उसे बता नहीं पाती
कि उसकी याद मुझे
उसके दरवाजे की तरफ
देखने से ही आने लगती है।

हां मैं उसे बता नहीं पाती
की दूरी हमारे रिश्ते में कैसे
दीमक का काम करती है।

हां मैं उससे बता नहीं पाती
कि हर बहस के जरिए
मेरे मन की बात
निकलने लगती है।

हां मैं उसे बता नहीं पाती
कि उसकी मीठी आवाज
मेरे कड़वे मन में कैसे
रस भरने लगती है।

हां मैं उसे बता नहीं पाती
कि जो मुझे सबसे अजीज है
वह उसके सीने में ही बसती है।

हां मैं उसे बता नहीं पाती
कि मेरी यह ना बताने की आदत
मुझे भी कितना
परेशान करती है।

हां यह सच है,
मैं उसे बता नहीं पाती
कि उसके नाम से ही
मेरी मुस्कुराहट आने लगती है।

Comments

  1. Hello swati, this is such a nice and simple piece of work.

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