Love Poem : Priyanka Nirwan

रिश्तों की कब्र उसने कुछ यूँ सजाई
मेरे प्यार को मारा पहले
फिर मेरे अरमानों की सूली चढाई

बदल सा गया कुछ उसमे
हर बात अलग हो गयी है
वो जो साथ था ख्यालों में मेरे
अब दूर मुझसे हो गया है

सोचती थी रिश्ता क्या है तो
ख़ुशी चेहरे पर आ जाती थी
आज जान गयी कि रिश्ता क्या है
तो आँख भर जाती है

खफा कुछ अलग अंदाज़ में है
वफ़ा कुछ अलग अहसास में है
मेरा रहे हमेशा बनकर वो
आज हर नाता बेकार सा है

है उम्मीद बस एक मानेगा
समझ जाये शायद वो
जाने मुझे समझे मेरी बात को
और बचा ही ले शायद वो हमारे साथ को |

Comments

  1. Hello Priyanka!
    This poem of yours, in a sense, is far better poem one than the Ghazal. You know why? Primarily because you've used words and expressions you're familiar with, there's purpose to your usages. This is exactly what you need to do with the Ghazal as well.
    Jesus Loves You!

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  2. Hello Priyanka!
    This poem of yours, in a sense, is far better poem one than the Ghazal. You know why? Primarily because you've used words and expressions you're familiar with, there's purpose to your usages. This is exactly what you need to do with the Ghazal as well.
    Jesus Loves You!

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