Response Poem2: A Ghazal-- Shubham Arya

A response to Aga Shahid Ali's 'Not All, Only A Few Return'--



सब कहाँ आते हैं वापस क़ुर्बतों को छोड़ कर
वो जो करते हैं सफ़र अपने घरों को छोड़ कर
प्यास की मारी ज़मीं थी आसमाँ तैयार था
एक बादल उड़ गया फिर बारिशों को छोड़ कर
नाम तेरा सुन के तेरे दर पे आए थे सभी
तू कहाँ है जा रहा बे-आसरों को छोड़ कर
जिस को देखो दूसरे जैसा है बनना चाहता
हसरत-ए-परवाज़ है अपने परों को छोड़ कर
एक मंज़र ये भी वाक़े' है हमारे कोर्ट्स का
सब गवाही दे रहे हैं शाहिदों को छोड़ कर
धीरे से सूई लगा है ख़ून में भेजी दवा
वेट बस तकलीफ़ जाएगी नसों को छोड़ कर
इस ज़मीं पर ख़ुल्द जैसा इक 'शुभम्' कश्मीर था
आ गई दहशत यहाँ सब दाएरों को छोड़ कर
~~शुभम् आर्य फ़रीदाबादी
Word meanings--
क़ुर्बत= nearness, vicinity
सफ़र= journey, voyage, travel
दर= door, doorway
आसरा= help, protection, shelter; बे-आसरा= without help, helpless
हसरत= unfulfilled desire; परवाज़= flight; हसरत-ए-परवाज़= desire to fly
पर= (here) wing
मंज़र= spectacle, scene, view
वाक़े= Come About, Occur, Happen, Happening
कोर्ट/कोर्ट्स= court/courts
गवाह= witness; गवाही= evidence, testimony, Witness
शाहिद= gay, witness
वेट= wait
तकलीफ़= trouble, difficulty, inconvenience
ज़मीं/ज़मीन= country, earth, ground, land
ख़ुल्द= paradise, heaven
'शुभम्'= pen name [तख़ल्लुस], auspicious, promising, hopeful, rosy, propitious, fortunate, bright
दहशत= terror
दाएरा= circle, limit, rangee

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