Villanelle poem: क्या तुम्हें वो रात याद है ?
क्या तुम्हें वो रात याद है ? जब हमने घंटों बात की थी और तुम्हारी बातों के हर शब्द हम महसूस कर रहे थे| क्या तुम्हें वो रात याद है ? जब तुम्हारे हाथ मेरे हाथों को छू रहे थे उस पल हम तुम्हारे हाथों की लकीरें बन जाना चाहते थे| क्या तुम्हें वो रात याद है? तुम्हारी नजरों के जुंबिश में हम खो चुके थे इन्हीं नजरों के ज़रिए तुम्हारे दिल में उतरना चाहते थे| क्या तुम्हें वो रात याद है? जब तुम हमारे साथ चल रहे थे और जाते जाते तुमने साथ ना होने का वादा किया था लेकिन मेरी रुह को यह मंजूर ना था और उस रात वह मुझे रुखसत करके चली गई| क्या तुम्हें वो रात याद है || ...